गोदना

गोदना को संथाली में ' खोदा ' कहते है एवं खोधरिन को 'खुदनी ' कहते है । संथाल जनजाति में जोड़ना गोदना स्त्रियों के लिए पवित्र मन माना जाता है । स्त्रियों इसे स्थायी गहना समझती है । उनका कहना है कि मरने के बाद शरीर के सभी गहनें - आभूषणों को निकाल लिया जाता है ,लेकिन गोदना ही एक ऐसा आभूषण है जिसे कोई नहीं निकाल सकता हैं । वह मृत्यु के बाद भी स्त्रियों के शरीर में रहता है । गोदना हाथ की कलाई ,कोहनी ,बाज़ू , छाती के एक छोर से दूसरे छोर तक ,आदि स्थानों में गोदवाते है । गोदवाते समय स्त्रियाँ , चन्द्र ,सूर्य ,बिन्दुओ ,वक्र रेखाओं ,तारें ,पशु -पक्षियों , बिच्छू ,पेड़ - पौधे ,पान के के पत्ते ,मछली ,फूल आदि की आकृत्यों को प्रयोग में लाती हैं ।  
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