संथाली भाषा





संथाली भाषा आदिवासी संथालों की " मातृभाषा " है । संथाली भाषा  को " माँझी " भाषा भी कहते है । उत्तर बंगाल में इसे " जंगली " या " पहाड़िया " और दक्षिण बंगाल , उड़ीसा में इसे " ठार " भाषा " कहते है । यह आस्ट्रिक या आग्नेय शाखा परिवार की भाषा है । संथाली ,मुंडारी , हो ,जुवाड़ , गोरुम , शबर आदि भाषाए आस्ट्रिया शाखा के अंतगर्त ही आती है । भारत में झारखण्ड , बिहार , बंगाल , उड़ीसा , असम , छत्तीसगढ़ , मध्य प्रदेश , आदि राज्यों में संथाल सामुदायी की आबादी बिखरी हुई है । भारत की  कुल आदिवासी आबादी में 40 प्रतिशत संथाल है । भारत के बाहर संथाली समुदाई के लोग नेपाल ,भूटान , बांग्लादेश , मारीशस एवं चीन में भी निवसा करते है । आबादी की दृष्टि से झारखण्ड राज्य का संथाल परगना क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण है ।
संथालों की मान्यता है कि संथाली भाषा " मरांग बुरु " द्वारा " पिलचु दंपति " के माध्यम से "खेरवाल अड़ाअंग " भाषा की उत्पति हुई । इसलिए संथाली लोग यह मानते है कि उनकी भाषा एक दैवी भाषा है ।
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